सूर्यवंश /अर्कवंश का संक्षिप्त परिचय कुक्षि के कुल में भरत से आगे चलकर, सगर, भागीरथ, रघु, अम्बरीष, ययाति, नाभाग, दशरथ और भगवान राम हुए। उक्त सभी ने अयोध्या पर राज्य किया। पहले अयोध्या भारतवर्ष की राजधानी हुआ करती थी बाद में हस्तीनापुर हो गई।इक्ष्वाकु के दूसरे पुत्र निमि मिथिला के राजा थे। इसी इक्ष्वाकु वंश में बहुत आगे चलकर राजा जनक हुए। राजा निमि के गुरु थे- ऋषि वसिष्ठ। निमि जैन धर्म के 21वें तीर्थंकर बनें।इस तरह से यह वंश परम्परा चलते-चलते हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु और सगर तक पहुंची। राजा सगर के दो स्त्रियां थीं-प्रभा और भानुमति। प्रभा ने और्वाग्नि से साठ हजार पुत्र और भानुमति केवल एक पुत्र की प्राप्ति की जिसका नाम असमंजस था।असमंज के पुत्र अंशुमान तथा अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए। दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतार था। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ और ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए। रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया। तब राम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।रघु कुल : सूर्य वशं को आगे बढ़ाया रघु कुल ने। रघु ...
Jay arkvansh
ReplyDelete9794737877